रोशन भारत संस्था के द्वारा एक पहल पाठशाला में "मेरी माँ" कम्पटीशन के पुरस्कार वितरित किए गए जिसमें बच्चों के साथ साथ उनकी माताओं का भी सम्मान किया गया। बच्चों द्वारा अपनी माताओं की अप्रतिम छवियाँ काग़ज पर उकेरी गई और बच्चों ने अपनी माता के विषय में जो शब्द लिखे उन्हें पढ़कर हृदय द्रवित हो उठा। पुरस्कार विजेताओं में से एक बच्चे ने लिखा कि मैं बड़ा होकर अपनी माँ के लिए गैस का चूल्हा खरीदूंगा क्योंकि उनकी उंगलियां लकड़ी के चूल्हे से जल जाती है। जहाँ एक बच्चा बड़ा होकर वैज्ञानिक बनना चाहता है वहीं पर एक बच्ची बड़ी होकर अध्यापिका बनना चाहती है। रोशन भारत एक ऐसा संगठन है जिसको बनाया है हमारे देश की एक बहुत ही होनहार और भावी डॉक्टर जिसकी उम्र मात्र 17 साल की है किन्तु देश के हर एक बच्चे को शिक्षित करना उसका स्वप्न है। इस बच्ची का नाम है अनुष्का सिन्हा। अनुष्का ने बहुत ही कम उम्र से ही समाज सेवा में अपनी रुचि दिखानी शुरू कर दी थी जहाँ पर बच्चों के लिए सेवा भाव उसके मन में बचपन से ही था। माता पिता के सहयोग से उसने न केवल बच्चों की शिक्षा के लिए बहुत सारे कार्य किए बल्कि उनके मनोरंजन के लिए भी बहुत सारे साधन जुटाने एवं दान किए। अनुष्का ने रोशन भारत नामक एक अनोखा एप बनाया है जो कि देश के उन हज़ारों बच्चों के लिए है, जो शिक्षा के लिए समुचित संसाधन जुटा पाने में असमर्थ हैं इसको किसी भी मामूली फ़ोन पर डाउनलोड किया जा सकता है और शिक्षा संबंधी तमाम सुविधाएँ उपलब्ध की जा सकती है। इस एप को आगे बढ़ाने में अनुष्का को प्रोत्साहन देने में एक पहल पाठशाला का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मेरी माँ नाम की इस प्रतियोगिता में एक पहल के बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया व बहुत ही ख़ूबसूरत चित्र उकेर और ढेरों पुरस्कार प्राप्त किए। एक पहल की ओर से रोशन भारत की संस्थापिका अनुष्का सिन्हा व डॉ. रोली सिन्हा का हार्दिक आभार।